कनाडा के रास्ते पर अमेरिका, खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश में भारतीय को फंसाया

कनाडा:अमेरिका ने एक भारतीय नागरिक पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। अमेरिका दावा कर रहा है कि पन्नू अमेरिकी नागरिक है, जिसकी हत्या की साजिश को विफल कर दिया गया था। हालांकि, अदालती दस्तावेज में पन्नू का कहीं भी नाम नहीं लिखा गया है।

वॉशिंगटन: अमेरिका ने एक भारतीय नागरिक पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने पन्नू का नाम लिए बिना दावा किया है कि उसने एक सिख अलगाववादी राज्य की वकालत करने वाले एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की कथित साजिश को नाकाम कर दिया। अमेरिका ने जिस भारतीय नागरिक पर खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है, उसका नाम निखिल गुप्ता है। अभियोग में दावा किया गया है कि निखिल गुप्ता को एक भारतीय सरकारी कमर्चारी ने इस काम के लिए कहा था। निखिल पर किराए पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि यह साजिश भारत से रची गई थी।

अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकी का नाम नहीं बताया

अमेरिका के अदालत में पेश दस्तावेज में इस तथाकथित साजिश का शिकार होने वाले खालिस्तानी आतंकवादी का नाम नहीं दिया गया है। हालांकि, आशंका है कि उसका नाम गुरपतवंत सिंह पन्नू है, जिसके पास कनाडा और अमेरिका की दोहरी नागरिकता है। भारत सरकार ने पहले कहा था कि उसने साजिश के संबंध में अमेरिका की सुरक्षा चिंताओं की जांच शुरू कर दी है। अभियोग का खुलासा होने के तुरंत बाद, व्हाइट हाउस ने कहा कि उसने इस मुद्दे को भारत सरकार के साथ वरिष्ठ स्तर पर उठाया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों ने आश्चर्य और चिंता के साथ जवाब दिया।

अमेरिकी अटॉर्नी ने उगला जहर

अमेरिका से पहले कनाडा ने भारत पर एक खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। हरदीप सिंह निज्जर की सरे काउंटी में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के महीनों बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में भारत पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को खारिज कर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। दोनों देशों ने एक-एक राजनयिकों को भी निष्कासित किया था। बाद में भारत ने कनाडा के लिए वीजा सर्विस भी रोक दी थी और कनाडा के कई राजनयिकों को भारत से खदेड़ दिया था।

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